एक ऐसे दौर में जब टिकाऊपन (सस्टेनेबिलिटी) ज़िम्मेदार खानपान का एक अहम हिस्सा बन चुका है, यूरोप के किसान यह दिखा रहे हैं कि उच्च गुणवत्ता वाले फल पर्यावरण की देखभाल करते हुए भी उगाए जा सकते हैं। गार्डन ऑफ़ यूरोप अभियान के माध्यम से, भारत के उपभोक्ता यह जान सकते हैं कि पोलैंड के सेब उत्पादक और ग्रीस के कीवी किसान किस तरह पर्यावरण-मित्र खेती के नए मानक स्थापित कर रहे हैं।
यूरोपीय कृषि पद्धतियाँ पर्यावरण संरक्षण परआधारित हैं, जिन्हें यूरोपीय संघ (EU) की फार्म टू फोर्क स्ट्रेटे जी और कॉमन एग्रीकल्चरल पॉलिसी (CAP) द्वारा मार्गदर्शित किया जाता है। ग्रीस के कीवी बागानों में, वॉटर-स्मार्ट ड्रिप इरिगेशन और मृदा निगरानी प्रणाली (soil monitoring systems) संसाधनों की बचत में मदद करती हैं, जबकि जैविक खाद (organic fertilization) मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखती है।पोलैंड के सेब बागानों में, इंटी ग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट, कंपोस्टिंग, और मौसम-आधारित पोषक तत्व प्रबंधन जैसी तकनीकें पर्यावरण पर प्रभाव को कम करती हैं, बिना उपजयास्वाद से समझौता किए।
ग्रीस के कवाला और पिएरिया जैसे क्षेत्रों में, किसान पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक प्रिसीजन टेक्नोलॉजी के साथ जोड़कर जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जिससे फल की गुणवत्ता और शेल्फ लाइफ दोनों में सुधार हो रहा है।पोलैंड के लुबेलेस्की और माज़ोविएस्की जैसे क्षेत्रों के किसान कम-उत्सर्जन उपकरणों और जैव विविधता संरक्षण उपायों में निवेश कर रहे हैं, जो EU ग्रीनडील के महत्वाकांक्षी पर्यावरणीय लक्ष्यों के अनुरूप हैं।
2025 फ्रेश फेल यूरोप वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, यूरोप के 65% से अधिक फल उत्पादकों ने एक से अधिक टिकाऊ खेती पद्धतियों को अपनाया है — यह न केवल नियमों का परिणाम है, बल्कि पर्यावरण-स्मार्ट उत्पादों की बढ़ती वैश्विक उपभोक्ता मांग को भी दर्शाता है।
भारत में, राष्ट्रीय पोषण संस्थान (National Institute of Nutrition) संतुलित आहार के हिस्से के रूप में रोज़ाना ताज़े फलों के सेवन की सलाह देता है। यूरोपीय सेब और कीवी चुनना न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह ऐसे फलों को समर्थन देने जैसा है जो प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करते हैं, कार्बन फुटप्रिंट को घटाते हैं, और आनेवाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरण का सम्मान करते हैं।
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